ये तितलियाँ कितनी प्यारी होती हैं रंग-बिरंगी और जब ये फूलों पर इठलाती उड़ती हैं तो कितनी सुंदर लगती हैं है ना जैसे आँगन में बेटियाँ लेकिन बेटियाँ तो और भी सुंदर प्यारी होती हैं क्यूँकि वो फूल भी हैं तितलियाँ भी खिलती भी हैं ये और उड़ती भी हैं है ना एक पिता की ख़ुशियाँ भाई का प्यार किसी का ख़्वाब और ज़िंदगी होती हैं तुम सोचना ये हैं क्या और हाँ हज़ारों लाखों बार सोचना इन पर अपनी एक निगाह से पहले जिस के ख़याल-भर से तुम पल-भर में वहशी हो जाते हो और भूल जाते हो कि तुम भी तो किसी के पिता भाई या प्रेमी हो और नहीं हो तो कभी हो जाओ और कहीं कोई उन की तरफ़ तुम्हारी वहशी निगाहें डाले ख़ैर ये कोई दुआ या बद-दुआ' नहीं है मैं तो ये कह रहा हूँ कि तितलियों को उड़ने दो