मैं ख़ुदा के हाथों से गिर कर टूटा हुआ प्याला हूँ (जो अपने बिखरे हुए टुकड़ों को... ढूँढता फिरता है) कभी कभी (बहुत कभी कभी) कोई टुकड़ा मिल कर अपनी टूटी हुई जगह से जोड़ बनाता है तो अज़ली तस्कीन और अबदी सरशारी का एहसास मिलता है जैसे कि तुम! हाँ प्यारे! जैसे तुम मिलते हो तो कुछ ऐसा ही लगता है जैसे मैं थोड़ा मुकम्मल हो गया हूँ जैसे मैं फिर से अपने चाक पर आ गया हूँ तकमील की इस मसाफ़त में एक सवाल बूँद बूँद मुझ से रिसता है इतनी बड़ी काएनात में टूटे हुए प्याले के टुकड़े कहाँ कहाँ बिखरे पड़े हैं क्या ख़बर, कब हम अपने बाक़ी-माँदा टुकड़ों को पा सकें जाने कब हमें अज़ली तस्कीन मिल सके और जाने कब ख़ुदा की प्यास बुझे हाँ प्यारे! हम ख़ुदा के हाथों से गिर के टूटे हुए प्याले हैं!!!