तुलसीदास

ये अक़ीदा हिंदुओं का है निहायत ही क़दीम
जब कभी मज़हब की हालत होती है ज़ार-ओ-सक़ीम

क़ादिर-ए-मुतलक़ जो है दाना-ए-असरार-ओ-करीम
भेजता है रहनुमाई के लिए अपना नदीम

रहबरान-ए-राह-ए-हक़ जब रहबरी फ़रमाते हैं
भूले-भटके सब मुसाफ़िर राह पर आ जाते हैं

इक ज़माना था कि ग़ारत हो रहे थे अहल-ए-हिन्द
अपना मज़हब अपने हाथों खो रहे थे अहल-ए-हिन्द

इक अजब ख़्वाब-ए-गिराँ में सो रहे थे अहल-ए-हिन्द
अपने ही आ'माल को ख़ुद रो रहे थे अहल-ए-हिन्द

ग़र्क़ होने पर था जब बेड़ा हमारी क़ौम का
गोशा-ए-उज़्लत में 'तुलसी' नाख़ुदा पैदा हुआ

अपनी नादानी कहें या अपनी क़िस्मत का क़ुसूर
दीद के ज़र्रीं अक़ाएद से हुए जाते थे दूर

अपने मज़हब के मसाइल से तबीअ'त थी नुफ़ूर
रहते थे ज़िक्र-ए-बुतान-ए-सीम-तन की धुन में चूर

था यहाँ तक हम पे जौर-ए-गर्दिश-ए-चर्ख़-ए-बुलंद
मोतियों के बदले हम को कंकर आते थे पसंद

थे पुरान-ओ-वेद-ओ-गीता के मसाइल जिस क़दर
सिल्क-ए-रामायण में रखा तू ने सब को बाँध कर

जो ख़ज़ाने थे पुराने उन से थे हम बे-ख़बर
आँखें थीं लेकिन न अज़्मत अपनी आती थी नज़र

हो सके ऐ मुल्क के मोहसिन तिरी तारीफ़ क्या
तू ने इक कूज़े के अंदर बंद दरिया कर दिया

इक तरफ़ हंगाम-ए-शाम अज़-बस थका माँदा किसाँ
दिन की मेहनत से फ़राग़त पा के आया है मकाँ

जम्अ' कर के अपने घर के बच्चे बूढे और जवाँ
कह रहा है हिन्द की हिन्दी में हिन्दू दास्ताँ

जो समझते हैं अजब क्या गर उन्हें आता है लुत्फ़
लफ़्ज़ जो सुनता है कुछ उस को भी आ जाता है लुत्फ़

इक तरफ़ उज़्लत में है नक़्क़ाद-ए-मा'नी मू-शिगाफ़
ये मआ'नी हैं मुआफ़िक़ वो मतालिब हैं ख़िलाफ़

इस से होता है कमाल-ए-शाइ'री का इंकिशाफ़
इतने पेचीदा मतालिब और फिर भी इतने साफ़

अहल-ए-फ़न कहते हैं इस को बहर-ए-ना-पैदा-कनार
और अवामुन्नास कह के सहल इसे करते हैं प्यार

दिल दहल जाता है जिस भी वक़्त करते हैं ख़याल
तेरी रामायण न होती गर तो होता कैसा हाल

चंद दिन गर और चलता वो ज़माना अपनी चाल
हम को कर देती ज़ईफ़-उल-ए'तिक़ादी पाएमाल

राय ये मेरी नहीं फ़तवा है सारी क़ौम का
तेरी रामायण नहीं नग़्मा है सारी क़ौम का


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close