और मैं तुम्हें इस छुपन-छुपाई में हम ये ही भूल गए हम किसे ढूँढ रहे थे एक बार हम रास्ते में मिले थे लेकिन तुम ने मुझे नहीं पहचाना मैं भी भूल गई कि मैं तुम को ही तो तलाश कर रही थी हम तलाश के एक ही दाएरे में घूमते रहे सारी ज़िंदगी गुज़र गई तुम को याद हो शायद नहीं हम एक कैफ़े में भी मिले थे और एक सड़क पर और एक कमरे में और एक घर में और वहाँ जहाँ मैं थक गई थी तुम को ढूँडते ढूँढे इतनी इतनी कि मेरी साँस फूलने लगी हाँ वहीं मैं ने इरादा तर्क कर दिया तुम्हें ढूँडने का