तिरी प्यासी निगाहें चूम कर दिल से लगाऊँगा तिरे आँचल के सारे ख़्वाब पलकों पर सजाऊँगा दिसम्बर की वो धुँदलाई सुब्ह तेरे लिए होगी तिरी ख़ातिर मैं आऊँगा सभी धुँदलाई सुब्हों ने सभी मुरझाई शामों ने मिरी आँखों में जलते आस के शो'ले बुझाए हैं लहू-रंग आँसुओं के दीप पलकों पर सजाए हैं