ट्यूशन By Nazm << एशिया जाग उठा किसान >> चुनती हूँ मैं लम्हा लम्हा साहिल से ताबिंदा मोती और बाग़ों से फूल मोती और फूलों की जब पाज़ेब बना कर पहनूँगी चढ़ता सूरज वज्द में आ के मेरी एड़ी चूमेगा और समुंदर शाम किनारे प्यास का दामन खोलेगा Share on: