तुम्हें कब मिला पहली बार जब वो तुम को अपने पंजों से खुरच रही थी क्या तुम ने हथियार डाल दिए थे या अपने आँसूओं में घोल कर उस पानी को आसमान पर उछाल दिया था ये राज़ की बात है मोहब्बत कोने-खुदरे में पड़ी सूखे निवाले चबाने में लगी है उस के पास लुआब भी नहीं है निवाले चबाने की आवाज़ कितने साल तुम्हारी नींदें ख़राब करती रही आख़िर ये वक़्त आ गया कि उदासी के घाव ने पै-दर-पै तुम्हें उल्टियाँ करने पर मजबूर कर दिया उल्टियाँ जो वहशतों की खड़ाऊँ पहने तुम्हारी चौखट से बाहर जाती लोगों को नज़र आएँ