उलझन By Nazm << नमरूद की ख़ुदाई सरहद-पार का एक ख़त पढ़ कर >> एक पशेमानी रहती है उलझन और गिरानी भी आओ फिर से लड़ कर देखें शायद उस से बेहतर कोई और सबब मिल जाए हम को फिर से अलग हो जाने का Share on: