मसाजिद की हिफ़ाज़त के लिए पुलिस की हाजत है ख़ुदा को आप ने मश्कूर फ़रमाया इनायत है अजब क्या है कि अब हर शाह-राह से ये सदा आए मुझे भी कम से कम इक ग़ुस्ल-ख़ाने की ज़रूरत है पिन्हाई जा रही हैं आलिमान-ए-दीं को ज़ंजीरें ये ज़ेवर सय्यद-ए-सज्जाद-आली की विरासत है यही दस बीस अगर हैं कुश्तागान-ए-ख़ंजर-अंदाज़ी तो मुझ को सुस्ती-ए-बाज़ू-ए-क़ातिल की शिकायत है शहीदान-ए-वफ़ा के क़तरा-ए-ख़ूँ काम आएँगे उरूस-ए-मस्जिद-ए-ज़ेबा को अफ़्शाँ की ज़रूरत है अजब क्या है जो नौ-ख़ेज़ों ने सब से पहले जानें दीं कि ये बच्चे हैं इन को जल्द सो जाने की आदत है शहीदान-ए-वफ़ा की ख़ाक से आई हैं आवाज़ें कि शिबली बम्बई में रह के महरूम-ए-सआदत है