उर्दू ज़बाँ हमारी है जान ओ दिल से प्यारी ये मादरी ज़बाँ है रग रग में जो रवाँ है जब से ज़बान खोली उर्दू है अपनी बोली बचपन की है ये साथी की इस ने ज़ेहन-साज़ी शीरीं ज़बाँ है उर्दू चर्चा है इस का हर-सू उर्दू में नग़्मगी है क्या इस में दिल-कशी है उर्दू जो कोई बोले कानों में रस ये घोले उर्दू में पढ़ना लिखना बात इस ज़बाँ में करना उर्दू को ज़िंदा रखना हम पर है फ़र्ज़ अपना लब जो 'फ़राग़' खोलो उर्दू में तुम भी बोलो