उस के नाम By Nazm << उस की याद में तिश्नगी >> और भी तेज़ हो लौ चिता की जिस्म तो जल चुका रूह भी जल बुझे आरज़ू की नुमाइश मुझे और कुछ मुज़्तरिब तो करे तुम मिरी राख को चूमना तुम मिरी रूह की गुम-शुदा गूँज को ढूँढना कि शायद पस-ए-मर्ग तुम को मिरी चाहतों के तक़द्दुस पे कुछ तो यक़ीन हो Share on: