मानें या मत मानें चच्ची बात है मेरी बिल्कुल सच्ची वही कहानी बड़ी पुरानी शुरूअ' करेंगी मुझे सुनानी दूर कहीं ख़ुश-हाल नगर में एक था राजा एक थी रानी जंगल में इक देव था काला एक थी जादू-गरनी कानी ले गए दोनों शहज़ादी को छुट गया उस का दाना पानी कोई उन से जीत न पाया बड़े बड़ों की मर गई नानी इक चरवाहे के बेटे ने दिखलाई अपनी जौलानी उन दोनों को जान से मारा मार के कर दी ख़त्म कहानी आप समझती हैं कि जैसे मैं भी हूँ इक बुद्धू बच्ची मानें या मत मानें चच्ची बात है मेरी बिल्कुल सच्ची काली हो गईं मेरी रातें सुन सुन कर ये बोर सी बातें कोई जादू-गरनी देखी और न देखीं देव की घातें चरवाहा भी मिला न कोई कहाँ हैं ऐसी ज़ातें-पातें शाह तो बस शतरंज में है अब वो भी खा जाता है मातें मलिका हाँ इक लंदन में है पर वो कहाँ पिछली औक़ातें शहज़ादी भी है तो सही पर कहाँ हैं जंगल देव की बातें चच्चा से गर पुछवा दूँ मैं हो जाएगी आप की कच्ची मानें या मत मानें चच्ची बात है मेरी बिल्कुल सच्ची