वक़्फ़ा By Nazm << नया साल ख़्वाब का दर बंद है >> रास्ता नहीं मिलता मुंजमिद अँधेरा है फिर भी बा-वक़ार इंसाँ इस यक़ीं पे ज़िंदा है बर्फ़ के पिघलने में पौ फटे का वक़्फ़ा है उस के बा'द सूरज को कौन रोक सकता है Share on: