विसाल By Nazm << ये धरती ख़ूब-सूरत है वोट ऑफ़ थैंक्स >> ख़ुश्बू की आवाज़ सुनी ग़ुंचा-ए-लब के खिलते ही पानी पर कुछ नक़्श बने परतव-ए-शाख़ के हिलते ही सारी बातें भूल गए उस से आँखें मिलते ही Share on: