किस जटा-धारी शो से सीखा था और कब अब ये बात याद नहीं नाग-विद्या का गान साँपों को बस में करने का फ़न हमारा था नाग-स्वामी थे ज़हर को तिरयाक़ में बदलने का इल्म रखते थे डर से निव्ढ़ाए अपने नाग-फनी साँप ख़ुद माँगते थे हम से पनाह नाग-विद्या का सारा ज्ञान लिए हम कमाल-ए-हुनर के मालिक थे लेकिन इक दिन अजीब बात हुई एक विश-कन्या प्यार से आ कर यूँ गले लग गई कि सारा ज्ञान बस को अमृत में ज़हर को तिरयाक़ मैं बदलने का इल्म सब मंतर भूल बैठे कि उस के होंटों का ज़हर आब-ए-हयात था और हम लाख जन्मों की प्यास रखते थे