यहाँ मज़ाफ़ात में इस वक़्त ठीक इस वक़्त जब ज़मीनी घड़ियाँ सुब्ह के साढे़-सात बजा रही हैं एक पहिया बनाया जा रहा है लकड़ी के तख़्तों को गोलाई देना मामूली काम नहीं अपने वस्त से बाहर फूटती हुई रौशनी औरत के बरहना जिस्म के ब'अद ये पहला मंज़र है जिस ने मुझे रोक लिया है और मैं भूल गया हूँ कि सय्यारे पर कोई मौसम भी है और मेरा एक नाम भी है पहियों की एक जोड़ी दरवाज़े से लगी खड़ी है गाड़ीबान आएगा और उसे ले जाएगा गाड़ीबान आएगा और ये फूल ले जाएगा...