ये तेरी आँखें By Nazm << आती जाती लहरें वो बे-जान शजर >> बेहद ख़ूबसूरत हैं ये तेरी आँखें पल रहे हैं इन में ढेरों ख़्वाब कुछ टूटते हैं टूट कर कुछ नए बनते हैं इक अजब सा नूर है इन बनते बिगड़ते ख़्वाबों में ये तेरी आँखें हैं या है पूरी कहकशाँ Share on: