गन्ना By बाल कविता, Paheli << मिर्च कुर्सी >> जब से मैं पैदा हुआ हूँ क़त्ल की तदबीर है भाग कर जाऊँ कहाँ मैं पैर में ज़ंजीर है खाल को चीरेंगे कपड़ों को फाड़ेंगे दुश्मन-ए-जाँ लहू को पी लेंगे Share on: