आसमानों पे नज़र आती है उस की सुर्ख़ी Admin बिस्मिल की शायरी, Qita << अब भी रातें मिरी महकती है... आसमानों पे नज़र आती है इस की सुर्ख़ी जब किसी टूटे हुए दिल पे छुरी चलती है फट न जाए कहीं क़ातिल का कलेजा 'अफ़ज़ल' रक़्स करते हुए बिस्मिल पे छुरी चलती है Share on: