अब मनाना उसे मुश्किल है कि ये आख़िरी पल By तसव्वुर, Qita << ऐ ख़ुदा एक बार मिल मुझ से आख़िरत का ख़याल भी साक़ी >> अब मनाना उसे मुश्किल है कि ये आख़िरी पल रूठने के लिए तय्यार हुआ बैठा है मेरे बाहर तिरे आने की ख़ुशी हो कि न हो मेरे अंदर कोई सरशार हुआ बैठा है Share on: