आख़िरत का ख़याल भी साक़ी By Qita << अब मनाना उसे मुश्किल है क... इतने अपनों में कोई एक न अ... >> आख़िरत का ख़याल भी साक़ी बादा-ए-वहम का अयाग़ न हो इस लिए बंदगी से हूँ बेज़ार ख़ुल्द भी एक सब्ज़ बाग़ न हो Share on: