होता था जिन्हें देख के मसरूर मैं 'अफ़ज़ल' Admin आँखों पे शायरी, Qita << इस क़दर जल्वा-ए-जानाँ को ... हिज्र के मारों की तक़दीर ... >> होता था जिन्हें देख के मसरूर मैं 'अफ़ज़ल' आँखों में मिरी अब वही मंज़र नहीं आते हैरान मैं होता हूँ यही सोच के अक्सर क्या बात है अब छत पे कबूतर नहीं आते Share on: