इस क़दर जल्वा-ए-जानाँ को हैं बे-ताब आँखें Admin परदेस शायरी, Qita << इस राज़ से वाक़िफ़ नहीं &... होता था जिन्हें देख के मस... >> इस क़दर जल्वा-ए-जानाँ को हैं बे-ताब आँखें अपने परदेसी का जैसे कोई दस्ता देखे इश्क़-ए-जानाँ में फ़ना हो गई मेरी हस्ती मौत से कह दो कि आए मिरा मरना देखे Share on: