ऐसे कंकर फेंकता हूँ मैं Admin दिल फेंक शायरी, Qita << मैं अपने ख़्वाब में मरने ... नज़र नज़र में उतरना कमाल ... >> ऐसे कंकर फेंकता हूँ मैं पानी मुझ से डर जाता है कमरा जितना भी ख़ाली हो एक चराग़ से भर जाता है Share on: