अक्सर इस तरह आस का दामन By Qita << कभी न पलटेगी बीती हुई घड़... जब्र ओ जहालत >> अक्सर इस तरह आस का दामन दिल के हाथों से छूट जाता है जैसे होंटों तक आते आते जाम दफ़अतन गिर के टूट जाता है Share on: