कभी न पलटेगी बीती हुई घड़ी लेकिन By Qita << सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिर... जब्र ओ जहालत >> कभी न पलटेगी बीती हुई घड़ी लेकिन तसव्वुरात से दिल ख़ुश हैं नौ-ए-इंसाँ के वो किस के हाथ के हैं मुंतज़िर ख़ुदा जाने लरज़ते रहते हैं पर्दे हरीम-ए-जानाँ के Share on: