अपने आ'साब के मारे हुए बेचारे अदीब By Qita << ग़म की तारीक फ़ज़ाओं से न... अभी न रात के गेसू खुले न ... >> अपने आ'साब के मारे हुए बेचारे अदीब ये तरक़्क़ी के मुनादी हैं तनज़्ज़ुल के नक़ीब ये ''उमूद'' और ''मुसल्लस'' के मज़ालिम के शिकार ज़िंदगी से हैं बहुत दूर 'फ़्राइड' से क़रीब Share on: