अपने उड़ते हुए आँचल को न रह रह के सँभाल By Qita << हल्क़ा-ए-मय से किसी को भी ... गरेबाँ-चाक महफ़िल से निकल... >> अपने उड़ते हुए आँचल को न रह रह के सँभाल हुस्न के परचम-ए-ज़र-तार को लहराने दे गिर गया फूल महकते हुए जोड़े से तो क्या ज़ुल्फ़ को ता-ब-कमर आ के मचल जाने दे Share on: