आरज़ू के दिए जलाने से Admin जलाने वाली शायरी, Qita << आसमाँ की बुलंदियों से नदी... आ कि बज़्म-ए-तरब सजा लें ... >> आरज़ू के दिए जलाने से ये अँधेरे तो कम नहीं होंगे कब ज़माने में ग़म नहीं थे दोस्त कम ज़माने में ग़म नहीं होंगे Share on: