आ कि बज़्म-ए-तरब सजा लें हम Admin कविता गीत शायरी, Qita << आरज़ू के दिए जलाने से शम्अ रौशन है सर-ए-बज़्म न... >> आ कि बज़्म-ए-तरब सजा लें हम आ कि इशरत का गीत गा लें हम ज़िंदगी उम्र भर का रोना है आ कि पल भर को मुस्कुरा लें हम Share on: