बरस के छट गए बादल हवाएँ गाती हैं By Qita << अभी जवाँ है ग़म-ए-ज़िंदगी... मै-कदा छोड़ के मैं तेरी त... >> बरस के छट गए बादल हवाएँ गाती हैं गरजते नालों में चरवाहियाँ नहाती हैं वो नीली धोई हुई घाटियों से दो गूँजें किसी को दुख-भरी आवाज़ में बुलाती हैं Share on: