मै-कदा छोड़ के मैं तेरी तरफ़ आया हूँ By Qita << बरस के छट गए बादल हवाएँ ग... बैठे बैठे उन की महफ़िल या... >> मै-कदा छोड़ के मैं तेरी तरफ़ आया हूँ सरफ़रोशों से मैं बाँधे हुए सफ़ आया हूँ लाख हूँ मय-कश आवारा ओ आशुफ़्ता-मिज़ाज कम से कम आज तो शमशीर-ब-कफ़ आया हूँ Share on: