बस इतनी बात है सामेअ' में हो मज़ाक़-ए-सुख़न By Qita << फ़ना के सामने हम क्या हमा... 'अकबर' की ख़ुराफ़... >> बस इतनी बात है सामेअ' में हो मज़ाक़-ए-सुख़न मजाल क्या कि मिरे शे'र पर उछल न पड़े अब अपने वा'ज़ में दुनिया से दिल किसी का न फेर क़ुली-गुदाम की भरती में ता ख़लल न पड़े Share on: