बे-क़रारी में भी अक्सर दर्द-मंदान-ए-जुनूँ By Qita << दुनिया से 'ज़ौक़'... कहा बेटे ने इक तस्वीर अपन... >> बे-क़रारी में भी अक्सर दर्द-मंदान-ए-जुनूँ ऐ फ़रेब-ए-आरज़ू तेरे सहारे सो गए जिन के दम से बज़्म-ए-'साग़र' थी हरीफ़-ए-कहकशाँ ऐ शब-ए-हिज्राँ कहाँ वो माह-पारे सो गए Share on: