बूढ़े माँ बाप बिलकते हुए घर को पलटे By Qita << हम भी काफ़ी तेज़ थे पहले मुझे साग़र दोबारा मिल गया... >> बूढ़े माँ बाप बिलकते हुए घर को पलटे चौंक उट्ठे हैं वो शहनाई बजाने वाले उफ़ बिछड़ती हुई दोशीज़ा के नालों का असर डोलते जाते हैं डोली के उठाने वाले Share on: