चाँदनी, तारे, अब्र के टुकड़े By Qita << दिल को बर्बाद किए जाती है बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-... >> चाँदनी, तारे, अब्र के टुकड़े हाए किस क़हर की हसीं है रात लीजिए वो फुवार पड़ने लगी आज क्यूँ होश में नहीं है रात Share on: