बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-ईद में हैं मगन By Qita << चाँदनी, तारे, अब्र के टुक... बातें करने में फूल झड़ते ... >> बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-ईद में हैं मगन बहुत वो हैं जो फ़रेब-ए-उमीद में हैं मगन ज़माना मस्त है इंसान का लहू पी कर हम अपने ख़ून-ए-जिगर की कशीद में हैं मगन Share on: