चोट खा कर भी मुस्कुराता हूँ By Qita << आज पनघट पर इस तरह थी भीड़ फ़लक ना-मेहरबाँ है मिल रह... >> चोट खा कर भी मुस्कुराता हूँ दर्द-ए-दिल से भी लुत्फ़ उठाता हूँ दोस्त ही ख़ंदा-ज़न नहीं मुझ पर ख़ुद भी अपनी हँसी उड़ाता हूँ Share on: