दर-ब-दर भटका करेंगे रास्ता ढूँडेंगे लोग Admin गर्व शायरी, Qita << दश्त में तपते ग़ुबारों से... चल रहे हैं क़तार में सूरज >> दर-ब-दर भटका करेंगे रास्ता ढूँडेंगे लोग तो नहीं होगा तो तेरा नक़्श-ए-पा ढूँडेंगे लोग रौशनी के वास्ते कूज़ा-गरों के शहर में हम नहीं होंगे तो मिट्टी का दिया ढूँडेंगे लोग Share on: