देहली का इक रईस ब-हंगाम-ए-जाँ-कनी By Qita << अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मु... बुताँ के इश्क़ ने बे-इख़्... >> देहली का इक रईस ब-हंगाम-ए-जाँ-कनी सर धुन रहा था चारागरों में घिरा हुआ जैसे फ़ुसूँ-गरों के झमेले में नीम-शब खेले सियाह नाग का ताज़ा डसा हुआ Share on: