अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को By Qita << हर तंज़ किया जाए हर इक तअ... देहली का इक रईस ब-हंगाम-ए... >> अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को भूल सकते नहीं ये अहल-ए-नज़र ख़ूब हँसता हूँ मुस्कुराता हूँ दोस्तों की सितम-ज़रीफ़ी पर Share on: