ढलती है मौज मय की तरह रात इन दिनों By Qita << बोला दुकान-दार कि क्या चा... कौन इस देस में देगा हमें ... >> ढलती है मौज मय की तरह रात इन दिनों खिलती है सुब्ह गुल की तरह रंग-ओ-बू से पुर वीराँ हैं जाम पास करो कुछ बहार का दिल आरज़ू से पुर करो आँखें लहू से पुर Share on: