दीदा-ए-तर पे वहाँ कौन नज़र करता है By Qita << इक शब हमारे बज़्म में जूत... हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार मे... >> दीदा-ए-तर पे वहाँ कौन नज़र करता है कासा-ए-चश्म में ख़ूँ-नाब-ए-जिगर ले के चलो अब अगर जाओ पए-अर्ज़-ओ-तलब उन के हुज़ूर दस्त-ओ-कश्कोल नहीं कासा-ए-सर ले के चलो Share on: