हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए By Qita << दीदा-ए-तर पे वहाँ कौन नज़... लफ़्ज़ चुनता हूँ तो मफ़्ह... >> हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोग नंगे हो जाते हैं बाज़ार में रहने के लिए Share on: