दिखा न ख़्वाब हसीं ऐ नसीब रहने दे Admin पंचायती राज शायरी, Qita << ग़मों का एक तूफ़ाँ दिल के... दश्त में तपते ग़ुबारों से... >> दिखा न ख़्वाब हसीं ऐ नसीब रहने दे मैं इक ग़रीब हूँ मुझ को ग़रीब रहने दे मरीज़-ए-इश्क़ हूँ मुझ को दवा से क्या मतलब न कर इलाज मिरा ऐ तबीब रहने दे Share on: