दिल-जलों को सताने आए हैं Admin जलन शायरी, Qita << गुलों का, नग़्मों का, ख़्... दर्द का जाम ले के जीते है... >> दिल-जलों को सताने आए हैं ग़म-ज़दों को रुलाने आए हैं उफ़! ये बे-दर्द शाम के साए हसरतों को जगाने आए हैं Share on: