डिश-ऐन्टेना By Qita << तपते दिल पर यूँ गिरती है लम्हा लम्हा मौत को भी ज़ि... >> जनाब-ए-शैख़ अपने वाज़ में रोज़ाना बरसों से सुनाए जा रहे हैं एक ही अफ़्साना बरसों से डिश-ऐन्टेना के रस्ते रोज़ आती हैं मिरे घर में वो हूरें जिन के चक्कर में हैं ये मौलाना बरसों से Share on: