लम्हा लम्हा मौत को भी ज़िंदगी समझा हूँ मैं By Qita << डिश-ऐन्टेना इक किरन टूट के सौ रंग बिख... >> लम्हा लम्हा मौत को भी ज़िंदगी समझा हूँ मैं दूसरों की ही मसर्रत को ख़ुशी समझा हूँ मैं क्या बताऊँ कौन हूँ मैं ने तो देखा ही नहीं आप ने जो कह दिया ख़ुद को वही समझा हूँ मैं Share on: