दीवानों को अहल-ए-ख़िरद ने चौराहे पर सूली दी है By Qita << सर-ए-कहकशाँ मिरा अक्स हो ऐ गदागर ख़ुदा का नाम न ले >> दीवानों को अहल-ए-ख़िरद ने चौराहे पर सूली दी है थी ये फ़र्द-ए-जुर्म कि उस ने फ़र्ज़ानों पर कंकर फेंका बार-ए-इलाहा तेरी दुहाई ये मुंसिफ़ तो अहल-ए-नज़र हैं उन को ख़बर है संग-ए-मलामत पहले किस ने किस पर फेंका Share on: