सर-ए-कहकशाँ मिरा अक्स हो By Qita << सितम-ईजाद के अंदाज़-ए-सित... दीवानों को अहल-ए-ख़िरद ने... >> सर-ए-कहकशाँ मिरा अक्स हो मिरे शौक़ को पर-ओ-बाल दे मिरे फ़न से फैले जो रौशनी उसे फिर कभी न ज़वाल दे Share on: